“पंछी”
“पंछी”
पंछी ना तो ढोल पीटते
ना ही रचते कभी
प्रेम पर अनगिनत रचनाएँ,
वे करते सिर्फ प्रेम
और भर लेते दिलों में
लख-लख संवेदनाएँ।
“पंछी”
पंछी ना तो ढोल पीटते
ना ही रचते कभी
प्रेम पर अनगिनत रचनाएँ,
वे करते सिर्फ प्रेम
और भर लेते दिलों में
लख-लख संवेदनाएँ।