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24 Jul 2022 · 1 min read

न मंजिल न ठिकाना

***** न मंजिल न ठिकाना *****
***************************

न ही मंजिल न ही ठिकाना मिला है,
न ही माँझी न ही किनारा मिला है।

फिरे हम बेसहारा बन कर आवारा,
न ही साथी न ही सहारा मिला है।

मिले जो भी दिखे बेगाने मन से,
न ही प्यारा हसीं हमारा मिला है।

वहीं पर छोड़ दी हमने डगर सुनी,
न ही राही न पथ सुहाना मिला है।

रहूँ बेहोश मनसीरत शराबी,
कहीं कोई न मयखाना मिला है।
***************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
214 Views
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