*न तुम बोलो ,न मैं बोलूँ (कुछ आध्यात्मिक शेर)*
न तुम बोलो ,न मैं बोलूँ (कुछ आध्यात्मिक शेर)
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सुबह तुम से मिले थे हम, नशा-सा एक छाया था
नशा अब भी है हल्का-सा, सुबह से शाम हो आई
मुलाकातें तो तुमसे रोज ही होती हमारी हैं
सबूतों का नहीं होना हमें लेकिन अखरता है
ये दुनिया एक नाटक है, कलाकारी निभाते हैं
मगर जो इश्क तुमसे है, वो सचमुच इश्क सच्चा है
बताएॅंगे कभी तफसील से, उस दिन हुआ क्या था
अभी यह राज की बातें हैं, कुछ दिन राज रहने दो
अदाएॅं जो तुम्हारी हैं, तुम्हारे संग जो मस्ती
मजा वह और दुनिया-भर की चीजों में कहाँ साहिब
उठाओ आज घूॅंघट, मैं तुम्हें पूरी तरह देखूँ
रुकें साँसें, रुकें धड़कन, न तुम बोलो न मैं बोलूँ
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451