नज़्म
जाने वो कैसे लोग होते हैं
जिनको मिलता है प्यार
बेशुमार प्यार.. किसी अपने से..
जो उदास हों अगर
तो कोई जी-जान लगा दे
उनके होंठों पे मुस्कुराहट देखने को..
जिन्हें जताने को अपनी भावनाएं
ढूँढता रहता है कोई प्यार के नग़मे
जिनके लिए लिखे जाते हैं
प्यार भरे गीत और नज़्में…
जाने वो कैसे लोग होते हैं
जिनके आँसुओं को ज़मीं पे गिरने से पहले
रोक लेता है कोई अपनी हथेली पर..
जिनकी हँसी महका देती है
किसी को फूलों की तरह…
जिनका ग़म किसी को चैन से रहने नहीं देता..
जाने वो कैसे लोग होते हैं
जिनकी ख़ूबसूरती की मिसाल देकर
उनका महबूब चाँद को लजाता रहता है..
जिनको बुरी नजर से बचाने को
बलाएँ लेता है कोई..
जिनकी छोटी सी ख़्वाहिश भी
बन जाती है किसी की ज़िंदगी का मक़सद..
जाने वो कैसे लोग होते हैं
जो हँसते है तभी, जब वो ख़ुश होते हैं..
जिनकी मजबूरियाँ नहीं होती
अपनी उदासियाँ छुपाने की..
जिनके दर्द बाँटने को
होते हैं उनके अपनों के मजबूत काँधे..
जिनका साथ निभाने के
करता है कोई जन्मों के वादे..
जिनको खोने के डर से ही
काँप उठती है रूह किसी की..
जिन्हें हमदर्द तलाशने को
नहीं देखना पड़ता आईना..
जो ख़ुश हैं, मुस्कुराते हैं
जिनकी दुआएँ उसके घर क़ुबूल की जाती हैं..
कभी-कभी सोचती हूँ
जाने वो कैसे लोग होते हैं
जो जीना चाहते हैं…
सुरेखा कादियान ‘सृजना’