नज़रिया…
नजरों से जो दिखे… सचमें क्या.. ये सच हैं,
सबका अपना अपना नज़रिया,
जो जैसे भाव से देखे उसे वैसा दिखता..!!
असल में वास्तविकता होती अलग हैं,
लेकिन.. अर्थघटन करने वाले में फर्क हैं..!!
सोच सोचमें भिन्नता दिखती हैं,
कोई सोचे अच्छा.. तो कोई बुरा…
ये…तो उनकी हैं विचार धारा..!!
लेकिन… प्रभाव पड़ता हैं मानसपट पर…
जब.. होता हैं सच्चाई से सामना..!!
फिर…अजीब सा एहसास,
दिल को करता परेशान हैं..!!
क्या… करे लोंगो की सोच को,
बदलना आसान थोड़ी..!
पर… देखकर ही किसीके बारेमें
ऐसा अनुमान लगाना…
ये… तो सही नहीं…ये हैं सोचने वाली बात..!..!