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29 Nov 2016 · 1 min read

नोटबंदी कर दी जाती है

नोटबंदी

जैसे बच्चे को , थाली में
माँ चन्दा दिखलाती है
बोल के उसको चन्दा मामा
उसका मन बहलाती है
वैसे ही सपने दिखलाकर
देश के सारे जनमानस को
बिना किसी तैयारी के ही
नोटबंदी कर दी जाती है

अब भूखे प्यासे लगे लाइन्स में
दिन भर धक्के खाओ जी
खुद के ही पैसे की खातिर
लाइन में ही मर जाओ जी
जो भी जिससे कहा जाए
बस साध के चुप्पी मानो तुम
किसी भी सरकारी , कृत्य पर
कोई ना प्रश्न , उठाओ जी

जान अठत्तर चली गई
दस पाँच और भी जाने दो
देश भक्ति का झाँसा देकर
जनता को बहकाने दो
काले धन के नाम पे सबकी
रातें काली कर डाली
ये अच्छे दिन के , सब्ज़ बाग़
और अभी , दिखलाने दो

मौके पर शादी कन्या की
रूकती है रुक जाने दो
सरे आम , बाबुल की पगड़ी
झुकती है झुक जाने दो
बड़ी मुश्किलों से जो उसने
सारी उमर बचाई थी
आज सरे बाजार , वो इज़्ज़त
लुटती है , लूट जाने दो

हैं भ्रष्टाचारी , खड़े लाइन्स में
कहती है , सरकार हमारी
मज़दूरों और कामगार की
काला धन है एक दिहाड़ी
नोटबंदी ने , देखो इनको
कैसा सबक , सिखा डाला है
दिन तो क्या , रातें भी अपनी
ए टी एम के बाहर गुजारी

नोटबंदी के पीछे माना
उनका का नेक इरादा है
भ्रष्टाचार व , काला धन
बाहर लाने का वादा है
पर जनता पर रात दिनों जो
व्यथाएँ हैं बीत रही
वो जनता की सामर्थ्य से
साहेब बहुत ही ज्यादा है

सुन्दर सिंह

27.11.2016

Language: Hindi
571 Views
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