नेता जी के बोल वचन
चुनावों के दौर में
मचा होता अजब शोर
झोंक देते है ताकत
नेताजी भी बोल के बड़े बोल
शुरू हो जाता है
नेताओं का मधुर रिझावन
माँगते है वोट
गली गली घर द्वारे जा कर
चुन आते है
सत्ता मे बन के नेता जब
भूल जाते है सारे वादे
बस याद रहते है अपने
बोल बड़े बोल बने
आज नेता जिनकी वजह से
किधर पडे है
कोई सुधी नहीं उनको
लीन है अपने स्वार्थ में
गला आम जन का काटतें है
खैर खबर से दूर
पीडीत जन तरसते है