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22 Feb 2024 · 1 min read

नूतन संरचना

बजे जब मन की मधुर वीणा
उठे जब तन में कोई तृष्णा
हृदय के तार हो झंकृत
हो नूतन स्वरूप संरचना I

प्रकृति का हो सान्निध्य
मन रहे न अनमना
चतुर्दिक पुष्प हों पुष्पित
हो नूतन स्वरूप संरचना I

बहती कलकल धारा हो
संग प्रियतम मनमोहक सजना
मेघ बरसें जब अनवरत
हो नूतन स्वरूप संरचना I

बसंती बयार बहती हो
रंगोली सजे अँगना
कपूर की महक घर में फैले
हो नूतन स्वरूप संरचना I

Language: Hindi
1 Like · 100 Views
Books from Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
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