नीला ग्रह है बहुत ही खास
देखो अन्य ग्रहों को,
उनकी प्रकृति कितनी दूभर है,
कोई आग का पिंड बन गया,
कोई हिम खण्ड का गोला है,
मुरझाये से दिखते है सब,
प्राणियों के बिन सब सूना है।
छोड़ जीव जंतु कहाँ गये सब,
शायद पृथ्वी में आ कर ही बस गये है,
शुक्र ग्रह से आयी है महिलाये,
मंगल ग्रह को छोड़ पुरुष भी बस गये,
बहुत सुन्दर प्रकृति नीले ग्रह की,
इसका तो अब ख्याल रखो।
जड़ तो है प्रदूषण इस वातावरण का,
दिन पे दिन जो हम सब ने फैलाये,
वृक्ष लगाना इस धरा की अवश्यकता,
हम सब का कर्तव्य है और जरूरत,
वृक्ष मानव से पहले थे आये,
इस धरा से वृक्षों को न मिटाये।
सूर्य ग्रहो का राजा है,
अपना चंद्रमा सब ग्रहो की रानी,
दोनो की पुत्री पृथ्वी है जीवों की जननी,
पर्वत भाई है इसके पहरेदार,
नदिया सागर झील है सब बहने,
वन उपवन है सब खास मेहमान।
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।