Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Apr 2021 · 2 min read

निसर्ग मेरा मित्र

प्रकृति भगवान की बनाई सबसे अद्भुत कलाकृति है जो उन्होने बहुमूल्य उपहार के रूप में प्रदान की है।निसर्ग और मानव की मित्रता यह एक अमूल्य धरोहर है, जो जीवन में माधुर्य का संचार करती है। प्राचीन काल से ही भारतीय जन–मानस निसर्ग को देवतुल्य मानकर पूजता है।पंचतत्वों से बना यह सुंदर निसर्ग हमें धरोहर में मिला है और इसे संजोग कर रखने की जिम्मेदारी भी हमारी ही है।
वायुमंडल में होने वाले संपूर्ण क्रियाकलाप प्रकृति के अंगभूत होते हैं,जो निसर्ग को संतुलित बनाए रखते हैं। जब यह संतुलन दैवीय,मानवीय या प्राकृतिक कारणों से बिगड़ता है, तो मानव का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है। जैसे कि अभी हम कोरोना महामारी से जुज रहे हैं, वह एक निसर्ग की चेतावनी है, जो मानव जाति को अपने दायरे में रहने का इशारा कर रही है।
आज हम अनेक प्रदूषण और अनुचित कृतियों से निसर्ग को दूषित कर रहे है,किन्तु हमारी माहेश्वरी संस्कृति ने और त्योहार हमे प्रकृति से जुड़ने का संदेश देते है।गणगौर जैसे त्योहार में भी हमें वनस्पति की रक्षणात्मक संस्कृति को बढ़ावा दिया जाता है।

महाभारत में भी कहा गया है,

पुष्पिताः फलवन्तश्च तर्पयन्तीह मानवान् ।
वृक्षदं पुत्रवत् वृक्षास्तारयन्ति परत्र च ॥

अर्थात, फल और फूल देने वाले वृक्ष मनुष्य को तृप्त करते हैं और वृक्षारोपण करने वाले व्यक्ति को परलोक में तारण भी वृक्ष ही करते हैं।

हमें निसर्ग का संतुलन बनाए रखने के लिए भूमि,आकाश ,नदिया और समुद्र को प्रदूषण से बचाए रखना है। हाइड्रो–पावर और सौरऊर्जा इस तरह के विकल्प जिस से बिजली उत्पन्न हो सकती है, जिससे नैसर्गिक संसाधनों का रक्षण हम कर सकते हैं। रीसाइक्लिंग जैसी प्रक्रिया से हम साल में कई लाख पेड़ों को बचा सकते हैं।

अत्याधुनिक जीवन पद्धति जीते हुए भी हमें अपने नैसर्गिक मूल्यों का जतन करना है। जिससे हम मानव तथा निसर्ग के मित्रता का संतुलन हमेशा बनाए रखें और मानवता पर कोई आँच ना आने दे।

Language: Hindi
Tag: लेख
7 Likes · 7 Comments · 4176 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Kanchan Alok Malu
View all
You may also like:
2413.पूर्णिका
2413.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
गुरु
गुरु
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कान्हा
कान्हा
Mamta Rani
बन्द‌ है दरवाजा सपने बाहर खड़े हैं
बन्द‌ है दरवाजा सपने बाहर खड़े हैं
Upasana Upadhyay
रणचंडी बन जाओ तुम
रणचंडी बन जाओ तुम
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सरकारी नौकरी
सरकारी नौकरी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
रूप तुम्हारा,  सच्चा सोना
रूप तुम्हारा, सच्चा सोना
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मैं अकेला महसूस करता हूं
मैं अकेला महसूस करता हूं
पूर्वार्थ
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
प्यास
प्यास
sushil sarna
मेरी चाहत रही..
मेरी चाहत रही..
हिमांशु Kulshrestha
तेरी ख़ामोशी
तेरी ख़ामोशी
Anju ( Ojhal )
ज़िंदगी को यादगार बनाएं
ज़िंदगी को यादगार बनाएं
Dr fauzia Naseem shad
हाय.
हाय.
Vishal babu (vishu)
सृष्टि
सृष्टि
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*
*"तुलसी मैया"*
Shashi kala vyas
जिंदगी
जिंदगी
लक्ष्मी सिंह
अब तो ऐसा कोई दिया जलाया जाये....
अब तो ऐसा कोई दिया जलाया जाये....
shabina. Naaz
# लोकतंत्र .....
# लोकतंत्र .....
Chinta netam " मन "
*चिड़ियों को जल दाना डाल रहा है वो*
*चिड़ियों को जल दाना डाल रहा है वो*
sudhir kumar
"गहरा रिश्ता"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरे मुक्तक
मेरे मुक्तक
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
मौन आँखें रहीं, कष्ट कितने सहे,
मौन आँखें रहीं, कष्ट कितने सहे,
Arvind trivedi
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
पथ पर आगे
पथ पर आगे
surenderpal vaidya
दिल का मौसम सादा है
दिल का मौसम सादा है
Shweta Soni
हर शायर जानता है
हर शायर जानता है
Nanki Patre
हमारे तो पूजनीय भीमराव है
हमारे तो पूजनीय भीमराव है
gurudeenverma198
"दोस्ती के लम्हे"
Ekta chitrangini
Loading...