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6 Jun 2023 · 1 min read

पथ पर आगे

** गीतिका **
~~
पथ पर आगे बढ़ते बढ़ते, आते बहुत उतार चढ़ाव।
पड़ जाते पांवों में छाले, पीड़ा पहुँचाते हैं घाव।

वृक्ष हमें देते रहते हैं, शीतल प्रियकर छाया खूब।
करें संरक्षण इनका हम सब, स्नेह भरा कर लें बर्ताव।

अपनेपन का भाव रखें हम, और सहज कर लें व्यवहार।
क्षणिक लाभ की खातिर हमको, मन में रखना नहीं दुराव।

हर पल आस विजय की लेकर, कर में जलता दीपक थाम।
अति भीषणकर तूफानों में, पार लगेगी अपनी नाव।

रिमझिम शीतल वर्षा ऋतु में, मन में जग जाता है प्यार।
आशा के नव पुष्प खिलें जब, खत्म नहीं होते हैं चाव।

सबके हित में ही अपना हित, मानें यह जीवन का सत्य।
प्रकृति का करना है पोषण, करुणामय हो मन के भाव।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०५/०६/२०२३

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