निलाम
ना मेरी नज्म सुनते हो ना इन्तिज़ार करते हो
बड़े जालिम हो मेरा दामन तार-तार करते हो
भरी महफिल में मुझ को देखते हो सर्द आँखों से
पराये लोगों की आँखों से आँखें चार करते हो
मुझे देखा तो तेरे क़दमों को रस्ता नया सूझा
मेरी गलियों में मेरा जीना अब दुश्वार करते हो
ये उठती लहरें मुझ को साथ ले कर डूब ना जायें
चुरा पतवार मेरी अपनी नैया पार करते हो
तुम उस से जब मिलो तो जुर्म को इकरार कर लेना
बताना अपने दिल का सौदा बार-बार करते हो।