निर्मल निर्मला
गौर से देखा जब भी उसकी ओर खामोश नजरें बया अंदाज़ ख़ास।।
नादाँ मुस्कान जहाँ की इनायत का पैगाम !!
गौर से देखा उसकी ओर सुबह सुर्ख लाली खूबसूरत जहाँ की मुस्कान !!
देखा गौर से उसकी ओर चाँद की चांदनी अप्सरा ज़माने की तमाम चाहतों की चाह की राह !!
देखा गौर से उसकी ओर सांसे धड़कनों का जहाँ में वजूद का एहसास !!
देखा गौर से उसकी ओर भोली , कमसिन नाज़ुक की नाज़ !!
देखा गौर से उसकी ओर कभी हवाओं के झोको में विखरी जुल्फों में रोशन चेहरे का सबाब !!
गौर से देखा उसकी ओर लवो की मुस्कान खामोश जुबान बोलती बाला हूँ हाला मधुशाला हूँ, जिंदगी की जमीं आसमान के परिंदों की परी हूँ !!
देखा उसकी ओर गौर से हिम्मत हौसलों की उड़ान नन्ही सी जान जहाँ के बुनियाद की ईमान।।
औरत, नारी ज़माने की जान अभिमान स्वाभिमान प्यार परिवरिश का दामन आँचल की मर्यादा मान !!