निर्भया v/s गुड़िया
निर्भया v/s गुड़िया
देने दिलासा उस माँ को, अब राजनीतिक पार्टी आएंगी।
चन्द पैसो में क्या वो उसकी, गुडिया को लौटा पाएंगी।।
कोई दस लाख रुपये दिलवाता,कोई दिलवाता मकान है।
एक बेटी की जिंदगी का, क्या यही आखिरी मुकाम है।।
चार दिन बीत गये पर, वो वहशी दरिंदा कहाँ छिपा है।
उस माँ का दिल पूछो जरा, उसका वक़्त कैसे बीता है।।
ना FIR हो ना केस चले, उसे सीधी मौत की सजा दो।
ऐसे कलंकित पुरुष को, उस घिनोने काम का मजा दो।|
दो सजा उसे ऐसी कि “मलिक” की कांप उठे रूह सुनकर।
कोई भी पुरुष फिर से चले ना, ऐसे गन्दे सपने बुनकर।।
नारी की जो इज्जत कर सकेना, उस मर्द को धिक्कार है।
खुलकर जिये ऐसे दरिंदे, “सुषमा” को कब ये स्वीकार है।।
चन्द दिनों बाद तुम सब देखना, ये फ़ाइल बन्द पड़ जाएगी।
फिरसे कोई निर्भयाv/sगुड़िया,अखबारों की सुर्खी बन जाएगी।।
सुषमा मलिक,
रोहतक
महिला प्रदेशाध्यक्ष CLA हरियाणा