“निर्णय आपका”
“निर्णय आपका”
हम दिल की सुनें या दिमाग की मानें
अक्सर यह सवाल पेट में कुलबुलाता है
कुछ समझ नहीं आता है?
पर जब कभी हम दिल की सुनते हैं
यकीन मानिए
खुद के ज्यादा करीब होते हैं,
उस काम को करते हुए
हम कभी बोर नहीं होते हैं।
“निर्णय आपका”
हम दिल की सुनें या दिमाग की मानें
अक्सर यह सवाल पेट में कुलबुलाता है
कुछ समझ नहीं आता है?
पर जब कभी हम दिल की सुनते हैं
यकीन मानिए
खुद के ज्यादा करीब होते हैं,
उस काम को करते हुए
हम कभी बोर नहीं होते हैं।