निराशा से आशा तक 😊😊
इंसान कितने ही प्रकार के भ्रम में जीवन भर खोया रहता है जैसे मैं बहुत ताकतवर हूं मेरे पास बहुत शक्ति है मेरे पास बहुत पैसा है मेरे पास बहुत सम्मान है मेरे पास बहुत ऊंचा पद है सभी लोग मेरा कितना सम्मान करते है मुझसे कितना लोग डरते है आदि भांति भांति के भ्रम के आधीन रहता है इंसान हमेशा जबकि सत्य तो केवल इतना होता है की इंसान अपने आप को समझ चाहे जो कुछ ले है वो केवल दुर्बल ही और इस अभूतपूर्व सत्य का साक्षात्कार उसे तब होता है जब इंसान के जीवन में बुरा समय आता है ,,
बुरे समय के आने के बाद ही उसे ये पता चलता है महसूस होता है उसके पाले हुए भांति भांति के भ्रम केवल उसकी कोरी कल्पना मात्र थे और इससे ज्यादा कुछ नहीं उसकी ताकत अब पहले जैसी नहीं रही शक्ति पूरी तरह से छीन हो चुकी है पैसा खत्म हो चुका है लोगो द्वारा दिया गया सम्मान अब अपमान में बदल चुका है मिला हुआ ऊंचा पद भी छीना जा चुका है ,,
जो लोग कल तक डरते थे आज वही लोग धमकी दे रहे है ऐसे भांति भांति के सत्य से इंसान का सामना होता है और ये सब देख कर इंसान गहरे शोक सागर में डूब जाता है की कितना भ्रम भरा हुआ था आज तक समग्र जीवन में और ये परिस्थिति इंसान की हिम्मत को दिन प्रतिदिन तोड़ती जाती है हौसला टूट रहा होता है मानो जैसे मनोबल शून्य तक पंहुच चुका हो सारा जीवन व्यर्थ प्रतीत होता है 😔😔
और ऐसे ही हालातों में जीवन कि वास्तविकता से आमना सामना होता है और तब केवल कितना निष्कर्ष निकलता है कि हम अपने आप को चाहे जितना शक्तिमान और सर्व समर्थ समझ ले समय के आगे हम सब निर्बल ही है 😊😊