नियोजित अभिवृद्धि
मेरा किसी को टोक कर ये कहना,
कि आबादी का इस तरह बढते रहना.
सरासर हमारी अज्ञानता है,
इसके क्या दुष्परिणाम हैं शायद तू नहीं जानता है ?
क्योंकि शिक्षा की है कमी,
तभी तो बढती आबादी की रफ़्तार नहीं थमी.
प्रतिक्रिया स्वरुप उसने अपने ज्ञान को दर्शाया,
विस्तार से अपना चिंतन हमें समझाया.
आप कहते हैं इसे मेरी अज्ञानता,
अरे मैं तो यह भी हूँ जानता.
कि एक वृक्षारोपण और दस पुत्र गुणवान,
इन दोनों का फल है एक समान.
यह मेरे ज्ञान का ही है प्रतिफल,
कि घर में बच्चों की है झरने की सी कल कल.
हालाँकि मैं पेड़ नहीं लगा रहा हूँ,
फिर भी संतान पैदा कर पुण्य तो कमा रहा हूँ.
श्रीमान जी, आप ने जो कही है,
बात वो शत प्रतिशत सही है.
लेकिन तुम ज्ञान को ठीक व्यवहार में नहीं ला रहे हो,
आबादी को बिना सोचे समझे बढा रहे हो.
यह तो असंतुलन हो रहा है ना कि विकास,
इससे तो निश्चित हो रहा है मानवता का विनाश.
अपने ज्ञान का सदुपयोग करो,
अपना ध्यान जनवृद्धि नहीं, वनवृद्धि पर धरो.
तुम एक पेड़ लगा कर दस पुत्र प्राप्ति का पुण्य कमा सकते हो,
और अपने साथ साथ मानवता को भी विनाश से बचा सकते हो.