नित करा मानुसेक हित,
नित करा मानुसेक हित,
मानुष ले बड़ नखे मित।
मुदा,
साईन के आर गाइनज के,
माटिक मेढ़ बनाइ के,
झलफले बिहाने नहाय के,
धुपा दिया बाइर के ,
टका करजा कइर के,
पइसा खरचा कइर के,
उपासे पाठा काइट के,
कानइद के आर मेमाय के,
भला कि तोय मांगे हैं?
मेढ़ से कि खोजे हैं?
काहे मेढ़ बने हैं
मेढेक के खातिर मोरे हैं।।
शिवनाथ प्रामाणिक