*निंदिया कुछ ऐसी तू घुट्टी पिला जा*-लोरी
निंदिया के झूले में ललना झुला जा।
आ जा री निंदिया! आ जा तू आजा।
चंदा का अँगना अरु तारों का आँचल,
छुप जा ओ ललना ज्यूँ अंखियन में काजल।
वारी-वारी जाए, ले बलइयाँ महतारी,
कजरारी अंखियन में निंदिया समा जा।
आ जा! री आजा!…
फूलों के, तितली के, माली के क़िस्से,
बचपन की बातें और नानी के क़िस्से,
क्यों बदली है दुनिया, दूर हुए अपने
रिश्तों की ख़ुशबू से साँसें महका जा।
आ जा! री आजा!…
सपने सलोने तू संग अपने लाये,
वीरों की भूमि की गाथा तू गाये,
कानों में क़िस्सा तू कोई सुना के
अंतस् में जज़्बा अनूठा जगा जा।
आ जा री!आजा!…
दादी का, मौसी का, मामा का प्यारा,
अम्मा अरु बाबा की आँखों का तारा,
हो जब बड़ा, मान सबका बढ़ाए
निंदिया कुछ ऐसी तू घुट्टी पिला जा।
आजा! री आजा!…
ऋषियों की, मुनियों की, संतों की वाणी,
वेदों, पूराणों से हमने जो जानी,
ममता की माला में, शिक्षा के मोती
परियों की रानी! तू आके पहना जा।
आ जा! री आजा!…