ना नर में
ना नर में राम रहा ना नारी में सीता
पढ़ेगा कौन रामायण और कौन पढ़ेगा गीता
ना……..
बन के रह गये हम पाप के पूजारी
तो सभ्यता छुरे कैसे दुआरी
पताका जो लहराता हमारे धर्म का
मुह नहीं देखना होता शर्म का
झूठ के बिना कौन यहां जंग जीता
पढ़ेगा……….
ना नर……….