नारी शक्ति
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श्रेष्ठतम संस्कारों से परिष्कृत है नारी।
सतत् जाग्रत और सहज समर्पित है नारी।
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जीवन-शक्ति की संरचना करने वाली है नारी।
आदिरूपा,आदिशक्ति,महामाया,काली है नारी।
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विश्व ब्रह्मांड में जीवन सत्ता का आधार है नारी।
सभ्यता और संस्कृति का निखार है नारी।
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पावन परम्पराओं से प्रतिबद्ध है नारी।
सावित्री,सीता,अग्नि सी शुद्ध है नारी।
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जीवनदायिनी, ब्रह्मचेतना स्वरूप है नारी।
वेदमाता,देवमाता, विश्वमाता, का रूप है नारी।
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अपने कर्तव्य के प्रति संवेदनशील है नारी।
जीवन के हर क्षेत्र में प्रगतिशील है नारी।
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नफरत भभरी इस दुनिया में प्यार है नारी।
माँ, पत्नी, बहन, बेटी का दुलार है नारी।
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गृहणी, गृहस्वामिनी तथा गृहलक्ष्मी है नारी।
दुर्गा,रति,सती, पार्वती व सरस्वती है नारी।
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भेदभाव के दंश को झेलती
प्रगति पथ पर अग्रसर है नारी।
पहुंच चूकी है एवरेस्ट और चाँद पर नारी।
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मृत्यु को झुका कर पुरस्कृत है नारी।
सत्यम्,शिवम् व सुन्दरम् से अलंकृत है नारी।
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हर क्षेत्र हर दिशा में मर्दों के संग है नारी।
अर्धनारीश्वर रूप में शिव का आधा अंग है नारी।
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अबला नहीं सबला है आज की नारी।
हर जंजीरों को तोड़ आगे बढ़ चली नारी।
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राजनीति से लेकर सर्विस सेवा तक नारी।
अब जाने लगी श्मशान घाट तक नारी।
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घर-बाहर सम्हालती दोधारी तलवार है नारी।
समाजिक हर एक कार्य में भागीदार है नारी।
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अनबुझ, अनोखा, जीवन साध्य है नारी।
युगों-युगों से हर युग में आराध्य है नारी।
?????—लक्ष्मी सिंह ??