नारी
इस धरती पर लाती हमें,
प्यार और ममता लुटाती है,
सारे गम सहकर सुख देती,
वह महिला कहलाती है।।
अपने आँचल में पाल पोसकर,
जीने की राह बताती है,
अपने सपनों को छोड़,
हमारे अरमानों को सजाती है।।
माँ,बेटी,बहन,बुआ,दादी
और नानी कहलाती है,
इस जग में नारी ही तो,
ममतामयी कहलाती है।।
नारी अपनी शक्ति से,
ज़ुल्मो-सितम सहती है,
फिर भी यह दुनिया,
नारी को हीन बताती है।।
जहाँ नारी की पूजा होती,
वहाँ देवता रहते है,
नारी के सम्मान से ही तो
सब संकट मिट जाते है।।