नारी- स्वरूप
बिटिया है! इतनी है प्यारी,
लड़कों से भी न्यारी,
पढ़ती है ,आग में तपती है ,
सुरक्षा खुद ही करती है ,
अब मेडल की है बारी ।
डरती नहीं संघर्ष की है आदि,
बेड़ियां मुक्त है ,सामान भाव रखती है,
आधी नहीं पूर्ण है नारी,
सहती है जननी है,
अधिकारों को जानती है ।
गृह दासी नहीं,
जीवन की संगिनी है,
उत्पीड़न नहीं सहती है,
स्पष्ट है मुक्त है,
एहसासों पर भारी है ।
रिश्तो को निभाती है,
घर को स्वर्ग बनाती है,
बुझे दीपक जलाती हैं,
रोशन घर कर जाती है,
इतिहास भी रचाती हैं ।
✍🏼✍🏼
……# बुद्ध प्रकाश #
मौदहा हमीरपुर।