नारी समझना है ज़रूरी
आज आधुनिक समाज में नारी की क्या हैसियत है वो किसी से छुपी नहीं है, कुछ अपवादों को छोड़ भी दिया जाए तो हमें ज्ञात होगा कि ज़माना चाहें कितना भी क्यों न बदल जाए एक चीज़ जो शायद कभी नहीं बदलेगी वो है नारी के प्रति लोगों की मानसिकता, यही कारण है कि आज भी लोग बहुत सहजता से ही नारी को सम्बोधित करके लड़ाई – झगड़ों में गालियाँ देते हैं इसमें दोष पुरूष वर्ग का नहीं है बल्कि उन नारियों का होता है जो बचपन में अपने बच्चों में अच्छे संस्कारों का समावेश नहीं कर पाती, जबकि बच्चों में अच्छे संस्कारों का समावेश करने का कार्य एक नारी रूपा माँ ही करती है, इसलिए माँ की गोद को बच्चे की प्रथम पाठशाला भी कहा जाता है, बच्चे कोरे कागज़ की भांति होते हैं हम जो लिखेंगे वही पढ़ेंगे,लेकिन इसके साथ ही यह बात अपनी जगह विशेष महत्व रखती है।, कि माँ के व्यक्तित्व का अच्छा और बुरा प्रभाव बच्चे के व्यक्तित्व पर अपना प्रभाव डालता है इसलिए एक बेहतर समाज तभी बनेगा जब माँ रूपी नारी का व्यक्तित्व सम्पूर्ण और दोषमुक्त होगा।
इसके लिए इस बात को बहुत संजीदगी के साथ समझना होगा कि बच्चों की अच्छी परवरिश का उत्तरदायित्व केवल नारी का नहीं है बल्कि माँ के साथ पिता, शिक्षक, परिवार व समाज का भी होता है, ये तो केवल हमारे व्यक्तित्व की दुर्बलता होती है जिसके चलते हम अपनी कमियों अपनी असफलताओं को दूसरों के सिर मढ़ देते हैं जबकि इसके विपरीत हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम व्यक्तिगत ज़िम्मेदारियों को सामुहिक ज़िम्मेदारियों की तरह बांट कर उसमें अपना – अपना योगदान दें क्योंकि समाज एक व्यक्ति से नहीं बल्कि हम सबसे मिल कर बना है और सभी अपना महत्व अपनी -अपनी जगह रखते हैं, माँ अपनी जगह पिता अपनी जगह शिक्षक, परिवार, समाज अपनी जगह, बहरहाल हमारा समाज अच्छा बने इसके लिए नारी को पूर्ण सुरक्षा, सम्मान, प्यार और ध्यान देने की आवश्यकता है उसे हर डर से चिन्ता मुक्त रखने की आवश्यकता है क्योंकि एक संतुष्ट नारी ही अच्छी पत्नी और अच्छी माँ बन सकती है और अपने बच्चों को अच्छे संस्कार प्रदान कर सकती है उसमें संवेदनशीलता, त्याग, समर्पण के साथ मानवीय गुणों का विकास कर सकती है अपने बच्चे को सही और ग़लत में अंतर करना सिखा सकती है, वास्तव में नारी एक इमारत की नींव की भांति होती है अगर वही कमज़ोर होगी तो उस पर खड़ी इमारत कितनी मज़बूत होगी बताने की आवश्यकता नहीं, बस इसी छोटी सी बात को समझने की आवश्यकता है जिस दिन हम इस बात की गहराई को समझ लेंगे यकीन मानिये उस दिन असंख्य सामाजिक समस्याओं का समाधान स्वतः ही हो जाएगा ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद