नारी पुरूष की शक्ति
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नर व नारी एक-दूसरे का पूरक,
नारी पुरूष की शक्ति का उर्वरक।
नारी बिना पुरूष जीवन अपूर्ण,
नारी ही पुरूषों को करती पूर्ण।
नारी पुरूष शक्ति की जीवन सुधा
संतप्त पुरूष के लिए शीतल छाया।
पुरूष का जीवन होता है निरस,
नारी रंगभर के बनाती उसे सरस।
पुरूष एक उजड़ा हुआ उपवन,
नारी ही सिंचती बनाती मधुवन।
पुरूष का जीवन अन्धकार युक्त,
रोशनी पैदाकर नारी ने किया मुक्त।
नारी बिना नहीं पुरूष की कल्पना,
नारी ही पुरूष जीवन की अल्पना।
????—लक्ष्मी सिंह ?☺