“नारी “टीस”
नारी ने ही तुझको जन्म दिया, गोद मे उसकी पला हैं,
पोषक है वो तेरी, ऊँगली पकड़ के पग पग चला हैं।
हरपल साथ निभाया, मालिक फिर भी तु बन बैठा,
घर की तु लक्ष्मी हैं कह कर, हर रूप को उसके छला है।।
वह तेरी है अर्द्धकाया, ये कैसे तु भूल गया,
मान का न सम्मान किया, कालिख मुख पर मल गया।
सखी,बहन, माँ और पत्नि, विद्यमान है रूप अनेक,
हर रूप मे,स्नेह संस्कार से सींचा,फिर भी तूने इसको शूल दिया।।
दूर्गा,लक्ष्मी,तुलसी, सती, ये ही आरती, गंगा,ज्ञान की देवी हैं,
ये सशक्त, कर्मठ,विश्वसनीय, प्रतिभावान,और तेजस्विनी हैं।
जीवन केपथ मे हर मोड़ पर,ये अवनि से अंबर तक,
ढाल बनेगी मुसीबत मे तेरी, ये ही आर्मी,ये ही नेवी है
जकड़ो न परंपरा की जंज़ीरों से ,इसे आसमां को छूने दो,
सदा करो सम्मान,कदम और कंधे मिलाकर चलने दो।
कन्या भ्रूण-हत्या से बचाकर,इसे संसार मे आने दो,
बाल-विवाह बंद करो, स्कूल इसको पढ़ने जाने दो।।
रूढ़िवादी परम्पराओ को ,पश्चाताप की आग मे जलने दो।।
रेखा ‘कमलेश’ कापसे (Line_lotus)
होशंगाबाद ,मध्यप्रदेश