Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jul 2023 · 1 min read

नारी की वेदना

ये मन कर रहा चीत्कार
कैसे मचाया हाहाकार ?
निर्वसन किया नारी को
घूमा किया कलुषित तिरस्कार।
अपमान न सिर्फ नारी का
माॅं-बहनों का अपमान किया।
लजाया दूध का आँचल
राखी को यूं शर्मसार किया।
कैसा बदला तुम्हारा
यह कैसा गोरखधंधा है ?
सत्य जान जो आँखें मूंदे
आँखें होकर भी अंधा है।
दुनियाँ में आने को माँ
सिर्फ नारी ही एक सेतु है।
मरने के लाख बहाने
किंतु एक ही जन्म हेतु है।
जिसने जीवन दान दिया
उसका कैसा सम्मान किया ?
उनको नहीं मिले माफी
जिसने यह घृणित कर्म किया।
नारी केवल भोग्य नहीं
नहीं खेल का पासा है।
संतति को जन्म देने वाली
हर जीवन की आशा है।
धिक ! ऐसे पुरुषों को
माँ को कलंक लगाया है।
ये माँं के संस्कार नहीं
झूठे दंभ की माया है।
कहाँ सोए हैं अब कृष्ण
चीर क्यूं न मिला तन को ?
दुष्टों ! हाथ नहीं काॅंपे
कैसे धीर मिलेगी मन को ?
हर द्रुपदा बनके काली
हर पापी का संहार करे।
इतिहास ना दोहराए
प्रभु ! ऐसा प्रबल प्रहार करे।

— प्रतिभा आर्य,
अलवर (राजस्थान)

Language: Hindi
16 Likes · 9 Comments · 623 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
View all
You may also like:
*
*"शिक्षक"*
Shashi kala vyas
ज़िंदगी एक कहानी बनकर रह जाती है
ज़िंदगी एक कहानी बनकर रह जाती है
Bhupendra Rawat
न्याय के लिए
न्याय के लिए
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
भ्रष्ट होने का कोई तय अथवा आब्जेक्टिव पैमाना नहीं है। एक नास
भ्रष्ट होने का कोई तय अथवा आब्जेक्टिव पैमाना नहीं है। एक नास
Dr MusafiR BaithA
मुक्तक
मुक्तक
नूरफातिमा खातून नूरी
मंजिल कठिन ॲंधेरा, दीपक जलाए रखना।
मंजिल कठिन ॲंधेरा, दीपक जलाए रखना।
सत्य कुमार प्रेमी
पुस्तक तो पुस्तक रहा, पाठक हुए महान।
पुस्तक तो पुस्तक रहा, पाठक हुए महान।
Manoj Mahato
हर इंसान को भीतर से थोड़ा सा किसान होना चाहिए
हर इंसान को भीतर से थोड़ा सा किसान होना चाहिए
ruby kumari
यह कब जान पाता है एक फूल,
यह कब जान पाता है एक फूल,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
सत्ता की हवस वाले राजनीतिक दलों को हराकर मुद्दों पर समाज को जिताना होगा
सत्ता की हवस वाले राजनीतिक दलों को हराकर मुद्दों पर समाज को जिताना होगा
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
नज़र
नज़र
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
बढ़ने वाला हर पत्ता आपको बताएगा
बढ़ने वाला हर पत्ता आपको बताएगा
शेखर सिंह
एक generation अपने वक्त और हालात के अनुभव
एक generation अपने वक्त और हालात के अनुभव
पूर्वार्थ
ममतामयी मां
ममतामयी मां
SATPAL CHAUHAN
!!  श्री गणेशाय् नम्ः  !!
!! श्री गणेशाय् नम्ः !!
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
गुरु पूर्णिमा पर ....!!!
गुरु पूर्णिमा पर ....!!!
Kanchan Khanna
इज्जत कितनी देनी है जब ये लिबास तय करता है
इज्जत कितनी देनी है जब ये लिबास तय करता है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
श्वासें राधा हुईं प्राण कान्हा हुआ।
श्वासें राधा हुईं प्राण कान्हा हुआ।
Neelam Sharma
भाईचारे का प्रतीक पर्व: लोहड़ी
भाईचारे का प्रतीक पर्व: लोहड़ी
कवि रमेशराज
"दलित"
Dr. Kishan tandon kranti
3291.*पूर्णिका*
3291.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सोचो अच्छा आज हो, कल का भुला विचार।
सोचो अच्छा आज हो, कल का भुला विचार।
आर.एस. 'प्रीतम'
#हंड्रेड_परसेंट_गारंटी
#हंड्रेड_परसेंट_गारंटी
*Author प्रणय प्रभात*
नश्वर है मनुज फिर
नश्वर है मनुज फिर
Abhishek Kumar
तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है
तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हमें उम्र ने नहीं हालात ने बड़ा किया है।
हमें उम्र ने नहीं हालात ने बड़ा किया है।
Kavi Devendra Sharma
साहब का कुत्ता (हास्य-व्यंग्य कहानी)
साहब का कुत्ता (हास्य-व्यंग्य कहानी)
दुष्यन्त 'बाबा'
भरत
भरत
Sanjay ' शून्य'
मिथ्या इस  संसार में,  अर्थहीन  सम्बंध।
मिथ्या इस संसार में, अर्थहीन सम्बंध।
sushil sarna
ट्रस्टीशिप-विचार / 1982/प्रतिक्रियाएं
ट्रस्टीशिप-विचार / 1982/प्रतिक्रियाएं
Ravi Prakash
Loading...