नारी और वर्तमान
नारी और वर्तमान –
सीमाओं पर लड़ती आसमान में उड़ती वकील चिकित्सक न्यायाधीश वर्तमान में नारी।।
प्रशासक अधिकारी शिक्षक क्लर्क लौह पथ गामिनी को पथ दिशा बताती।।
बस ऑटो रिक्शा चालक हर क्षेत्र में कि नारी भागीदारी।।
शिक्षक शिक्षा सांचार तकनीकी शिक्षा या उद्योग व्यवसाय व्यपार नारी की हिस्सेदारी।।
लोक तंत्र का चौथा स्तंभ मीडिया या राजनीति यंत्र तंत्र सर्वत्र नारी अपना परचम लहराती ।।
सभ्य समाज की नारी गौरव बैभव वर्तमान कि नारी का एक रूप
नारी शक्ति साहस सफलता नित रचती।।
पुरुष प्राधन समाज मे अब भी संसय संघर्षों में जीती भय दहसत कब क्या हो जाय?
पल पल जीती मरती ।।
ईश्वर अल्ला से इज्जत अस्मत कि दुआ मांगती ।।
बचपन किशोर युवा बेखौफ बेफिक्र नही डर डर गिरती और संभलती ।।
पीछे मुड़ मुड़ दहसत के दानव को निहारती भागती बचती ।।
मध्यम निम्न सामाजिक असमानता में पिसती नारी सुबह सबेरे कचरा बिनती ।।
दुधमुँहे बच्चे को झांसी की रानी सी बांधे जीवन कि दो रोटी का संग्राम नीत लड़ती।।
चाय पान कि दुकान दाई बाई मजदूरी पत्थर तोड़ती।।
शराबी शौहर से पीटतीअपमानित होती फिर भी आशाओं उम्मीदों जीती ।।
बेची जाती अंधेरे पथ पर धकेली जाती पहले कोठा था काल कोठारी।।
अब जीन्स टॉप में खुद ही दिवस संध्या के चकाचौंध में मजबूरी या सौख अंधेरे पथ पर जाती।।
नारी मर्यदा नैतिकता शक्ति नव दुर्गा नव रुपों में युग सृष्टि कि जननी ।।
मर्यदा सीमाओं को स्वंय तोड़ती आधुनिकता कि आंधी दौड़ में मर्यादाओं करती पार कही शक्ति कही शर्मिंदा करती।।
नारी देवो की आधी शक्ति अर्ध नारीश्वर ईश्वर सत्यार्थ शक्ति।।
सदा समय युग काल मे नारी आधी शक्ति माँ बहन बेटी सास भी नारी ,नारी कि ताकत ।।
नारी एक नारी दूजे कि हो सत्कारी होगी नारी सिंघारूढ़ ना होगी तिरस्कारी।।
पुरुष नारी के सहयोग साथ हाथ समन्वय से नारी शक्ति होगी गौरव शाली।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।