Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Dec 2021 · 1 min read

नारी।

छोड़ दो वह कल की बाते,अब तो ये सब पे भारी है,
दुर्गा, लक्ष्मी और चंडी का अवतार आज की नारी है।

जंग मैदान की हो या संसार की ,
सरताज की वो अधिकारी है,
ममता,प्यार, कुरबानी का दूसरा नाम ही नारी है।

साहस, सामर्थ्य, सचाई की आधुनिक युग की जो परछाई है,
जिसने खुदसे अपनी राह बनाई वो ही इस युग की नारी है।

समाज में अपनी जगह बनाने आज भी इसकी लढाई है,
मंज़िल तक पहोचनेकी आज भी कोशिश जिसकी जारी है।

वो ही आजकी नारी है।
वो ही आज की नारी है।

Language: Hindi
12 Likes · 11 Comments · 666 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Kanchan Alok Malu
View all
You may also like:
“हिचकी
“हिचकी " शब्द यादगार बनकर रह गए हैं ,
Manju sagar
ह्रदय के आंगन में
ह्रदय के आंगन में
Dr.Pratibha Prakash
पैर धरा पर हो, मगर नजर आसमां पर भी रखना।
पैर धरा पर हो, मगर नजर आसमां पर भी रखना।
Seema gupta,Alwar
एक पति पत्नी भी बिलकुल बीजेपी और कांग्रेस जैसे होते है
एक पति पत्नी भी बिलकुल बीजेपी और कांग्रेस जैसे होते है
शेखर सिंह
नारी शक्ति
नारी शक्ति
भरत कुमार सोलंकी
चौकीदार की वंदना में / MUSAFIR BAITHA
चौकीदार की वंदना में / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
विध्वंस का शैतान
विध्वंस का शैतान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
ईमेल आपके मस्तिष्क की लिंक है और उस मोबाइल की हिस्ट्री आपके
ईमेल आपके मस्तिष्क की लिंक है और उस मोबाइल की हिस्ट्री आपके
Rj Anand Prajapati
बचपन की यादें
बचपन की यादें
प्रीतम श्रावस्तवी
"दो हजार के नोट की व्यथा"
Radhakishan R. Mundhra
"खाली हाथ"
Er. Sanjay Shrivastava
संसार का स्वरूप (2)
संसार का स्वरूप (2)
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
हालातों से युद्ध हो हुआ।
हालातों से युद्ध हो हुआ।
Kuldeep mishra (KD)
हम चाहते हैं
हम चाहते हैं
Basant Bhagawan Roy
अतीत कि आवाज
अतीत कि आवाज
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
*शिक्षक हमें पढ़ाता है*
*शिक्षक हमें पढ़ाता है*
Dushyant Kumar
शीर्षक – रेल्वे फाटक
शीर्षक – रेल्वे फाटक
Sonam Puneet Dubey
कितना बदल रहे हैं हम
कितना बदल रहे हैं हम
Dr fauzia Naseem shad
*मर्यादा*
*मर्यादा*
Harminder Kaur
I've washed my hands of you
I've washed my hands of you
पूर्वार्थ
"मां की ममता"
Pushpraj Anant
Bahut fark h,
Bahut fark h,
Sakshi Tripathi
3412⚘ *पूर्णिका* ⚘
3412⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
कितने इनके दामन दागी, कहते खुद को साफ।
कितने इनके दामन दागी, कहते खुद को साफ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
हमने तो सोचा था कि
हमने तो सोचा था कि
gurudeenverma198
*पतंग (बाल कविता)*
*पतंग (बाल कविता)*
Ravi Prakash
मुझे फर्क पड़ता है।
मुझे फर्क पड़ता है।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बमुश्किल से मुश्किल तक पहुँची
बमुश्किल से मुश्किल तक पहुँची
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Loading...