नादान
जरा सी नादान हूं पापा,
पर यह भी जानती हूं।
की आपकी जान हूं ।
जिमेदरी बहुत थी आपके उपर,
जब मैं छोटी थी उस वक्त।
फिर भी मुझे अकेला न छोड़ा ,
मेरा चेहरा हंसता रखा हर वक्त।
हर सपना मेरा पूरा किया,
मेरी हर जिद को स्वीकार लिया।
कभी न लड़की कह। कर दुत्कार दिया।
आज मै खुद जिमेदर बनी,
दो संतानों की मां बनी।
अब पता चला पापा,
की न जाने तूने अपने,
कितने सपनों की चडा दी बली।
कितनी नादान थी मै,
ये सोच सोच के मै हूं आज हैरान बड़ी