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19 Feb 2024 · 1 min read

नाकाम

दुनिया की नजर मे भले नाकाम कहलाऊंगा
टूटे हुए दिलों के पर काम तो आऊँगा।

खिला न सकूँ कोई गुल तो क्या हुआ
गुलशन ए बहार का पैगाम तो लाऊँगा।

मझधार मे कश्ती का तूफान ही सहारा है
अब तूफानों को ही अपना हाल बताऊंगा।

बेफिक्र होके मेरे कातिल शहर मे आना
मै अपनी जुबां पे तेरा नाम न लाऊँगा।

-देवेंद्र प्रताप वर्मा ‘विनीत’

Language: Hindi
170 Views
Books from देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
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