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22 Sep 2022 · 1 min read

नहीं

गीतिका
🦚
(१२२ १२२ १२२ १२)
नहीं
*****
कभी दिल किसी का दुखाना नहीं ।
छिपा दर्द दिल का सुनाना नहीं ।।
*
नयन मौन होकर करें चुगलियाँ ।
निगाहें किसी से मिलाना नहीं ।।
*
उठे पीर तो ओठ लेना दबा ।
मग़र राज दिल का बताना नहीं ।।
*
बड़े चैन से सो रहे आँख में ।
कभी आँसुओं को गिराना नहीं ।।
*
कहा जुगनुओं ने दमकते रहो ।
न दमके, मिलेगा ठिकाना नहीं ।।
*
जले दीप ने एक दिन था कहा ।
किसी ने कभी दर्द जाना नहीं ।।
*
बुझे ‘ज्योति’ जब भी ,अँधेरा घिरे ।
जली ज्योतियों को बुझाना नहीं ।।
*
-महेश जैन ‘ज्योति’
मथुरा ।
***
🪷🪷🪷

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