नशा मंजिल पाने की
जब नशा किसी का होता है,
तो मंजिल मिल ही जाता है ।
जल्द नहीं कुछ देर सही,
हौंसला भी बढ़ जाता है ।।
गर जिद जो पक्की हो जाए,
कोशिश का नशा चढ़ जाए ।
आगे पीछे कुछ ना सुझता,
बस केवल मंजिल ही दिखता ।।
अथक प्रयास होने लगते हैं ।
सफलता और विफलता,
ये दोनों सभी को,
साफ-साफ दिखने लगते हैं ।।
कौन क्या कहता यहाँ,
अब किसी की नहीं सुनते हैं ।
हम मंजिल पाने की जिद में हरदम,
दिन-रात प्रयास में रहते हैं ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 13/12/2020
समय – 14:33 ( दोपहर )
संपर्क – 9065388391