*नव-संसद की बढ़ा रहा है, शोभा शुभ सेंगोल (गीत)*
नव-संसद की बढ़ा रहा है, शोभा शुभ सेंगोल (गीत)
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नव-संसद की बढ़ा रहा है, शोभा शुभ सेंगोल
1
भव्य भवन अपनी संसद का, भारत ने जब पाया
अधुनातन से मेल पुरातन, देख-देख हर्षाया
याद दिलाया इसने शासक, दक्षिण में थे चोल
2
राजदंड यह नैतिकता के, मूल्यों का उद्गाता
सत्य आचरण का अंकुश, राजा पर यह सिखलाता
शिव के नंदी यहॉं विराजे, पावन इसके बोल
3
छड़ी नहीं यह मात्र स्वर्ण की, यह स्वतंत्रता लाई
यह अभिमंत्रित परम पूज्य है, तप की ले गहराई
पृष्ठ पुरातन गौरवशाली, दिए अनगिनत खोल
नव-संसद की बढ़ा रहा है, शोभा शुभ सेंगोल
रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451