Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Dec 2021 · 1 min read

नव वर्ष २०२२

दिन सुदिन रहे सबका,
दीन, दुःखी कोई ना रहे,
सबका सबमें प्रीति रहे,
भयभीत किसी से कोई ना रहे,
भाव अभाव ना हो मन में,
सद्भाव का भाव सदा ही रहे…✍️

Language: Hindi
402 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बताता कहां
बताता कहां
umesh mehra
स्वयं की खोज कैसे करें
स्वयं की खोज कैसे करें
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
*कभी मिटा नहीं पाओगे गाँधी के सम्मान को*
*कभी मिटा नहीं पाओगे गाँधी के सम्मान को*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जो भक्त महादेव का,
जो भक्त महादेव का,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
2) “काग़ज़ की कश्ती”
2) “काग़ज़ की कश्ती”
Sapna Arora
"भलाई"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम मेरे हो
तुम मेरे हो
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
#मुक्तक
#मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
जब कोई साथ नहीं जाएगा
जब कोई साथ नहीं जाएगा
KAJAL NAGAR
ये साल बीत गया पर वो मंज़र याद रहेगा
ये साल बीत गया पर वो मंज़र याद रहेगा
Keshav kishor Kumar
ना जाने कौन सी डिग्रियाँ है तुम्हारे पास
ना जाने कौन सी डिग्रियाँ है तुम्हारे पास
Gouri tiwari
जज्बात
जज्बात
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कुछ बात कुछ ख्वाब रहने दे
कुछ बात कुछ ख्वाब रहने दे
डॉ. दीपक मेवाती
गुज़रा है वक्त लेकिन
गुज़रा है वक्त लेकिन
Dr fauzia Naseem shad
*जो लूॅं हर सॉंस उसका स्वर, अयोध्या धाम बन जाए (मुक्तक)*
*जो लूॅं हर सॉंस उसका स्वर, अयोध्या धाम बन जाए (मुक्तक)*
Ravi Prakash
हम हैं कक्षा साथी
हम हैं कक्षा साथी
Dr MusafiR BaithA
ग़ज़ल/नज़्म - वजूद-ए-हुस्न को जानने की मैंने पूरी-पूरी तैयारी की
ग़ज़ल/नज़्म - वजूद-ए-हुस्न को जानने की मैंने पूरी-पूरी तैयारी की
अनिल कुमार
बुंदेली दोहा -तर
बुंदेली दोहा -तर
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
देवो रुष्टे गुरुस्त्राता गुरु रुष्टे न कश्चन:।गुरुस्त्राता ग
देवो रुष्टे गुरुस्त्राता गुरु रुष्टे न कश्चन:।गुरुस्त्राता ग
Shashi kala vyas
ख्वाब सुलग रहें है... जल जाएंगे इक रोज
ख्वाब सुलग रहें है... जल जाएंगे इक रोज
सिद्धार्थ गोरखपुरी
आ जा उज्ज्वल जीवन-प्रभात।
आ जा उज्ज्वल जीवन-प्रभात।
Anil Mishra Prahari
पास नहीं
पास नहीं
Pratibha Pandey
सत्य शुरू से अंत तक
सत्य शुरू से अंत तक
विजय कुमार अग्रवाल
कहमुकरी
कहमुकरी
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
सुमति
सुमति
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बस करो, कितना गिरोगे...
बस करो, कितना गिरोगे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
कितना रोका था ख़ुद को
कितना रोका था ख़ुद को
हिमांशु Kulshrestha
बाल दिवस विशेष- बाल कविता - डी के निवातिया
बाल दिवस विशेष- बाल कविता - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
2321.पूर्णिका
2321.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...