नव प्रभात
आओ नव प्रभात!
खिले-खिले पुष्प,
ओस भीगे पात,
कह रहे झूम – झूम
आओ नव प्रभात!
भक्ति में भीगे स्वर,
पुलकित मृदुगात,
शंख -ध्वनि कहती
आओ नव प्रभात!
मचल उठी किरणें,
बीती काली रात,
विहग कलरव कहता
आओ नव प्रभात!
इन्द्रधनुषी रंग सजे
बह रही है वात,
नदी कलकल कहती
आओ नव प्रभात!
रूको! मुझे पूछनी,
तुमसे एक बात,
लाए हो अंक में
कौनसी सौगात?
आंसू, नफरत, दंगे,
युद्धों की शह मात,
ये बहुत धरा पर
ले जाओ ये तात।
ले आओ निश्छलता,
दया और विश्वास,
प्रेम से स्वागत है
आओ नव प्रभात!
— प्रतिभा आर्य
अलवर (राजस्थान)