नवोदयी जिगरी यार
याद बहुत आते हैं पल जो नवोदय में बिताए
नवोदयी जिगरी यार सदा दिलोदिमाग में छाएं
पुरानी बात,सुहाने दिन रात अभी तरोताज़ा हैं
वही जज्बात ,स्कूली हालात दिल में ताजा हैं
हसीन दुनिया के ख्वाब आँखों में हैं रहें छाए
नवोदयी जिगरी यार सदा दिलोदिमाग में छाएं
गंदे जूतों पर चाक घिसा कर खूब चमकाते थे
गद्दे नीचे कपड़े रखकर वस्त्र इस्त्री हो जाते थे
दाखिला संख्या जो थी पहचान नहीं भूल पाए
नवोदयी जिगरी यार सदा दिलोदिमाग में छाएं
अंतिम रविवार अभिभावक दिवस मनाते थे
जो आता सामान हम सभी मिल बाँट खाते थे
ट्रंक होता तालाबंद सामान फिर उड़ां ले जांए
नवोदयी जिगरी यार सदा दिलोदिमाग में छाएं
चौहान सर खौफ,सिकंदर की मौत है,याद हमें
आँख चुराके भागना,हाथ ना आना,है याद हमें
प्रातः की पी.टी.,सर की सीटी,हमें हैं याद आए
नवोदयी जिगरी यार सदा दिलोदिमाग में छाएं
मैस का खाना ,चोरी से होस्टल जाना याद हमें
ब्रैकफास्ट दूध,ब्रैक में अल्प फूड खूब याद हमें
दोपहर लंच,भोज घटक संकेत हमें याद आए
नवोदयी जिगरी यार सदा दिलोदिमाग में छाएं
समूह में थाली बजाकर गाना बजाना याद हमें
शाब्दिक वार,खींचातान,वो उल्टे नाम याद हमें
शिक्षकों के रखे निक नाम हमें याद बहुत आएं
नवोदयी जिगरी यार सदा दिलोदिमाग में छाएं
दीदी-भैया रिवाज, रक्षाबंधन दिवस है याद हमें
दीवाली मूर्गे बंब, सर्व पर्व मनावन रंग याद हमें
होली के रंग में हो जाते बदरंग याद बहुत आएं
नवोदयी जिगरी यार सदा दिलोदिमाग में छाए
चोरी चोरी नजरें मिलाना ,मन ही मन में चाहना
एक दूसरे को उसी के नाम से है कहना कहाना
दीवानों का उड़ता हुआ रंग आज भी याद आए
नवोदयी जिगरी यार सदा दिलोदिमाग में छाए
झगड़ा हो जाना, रुठना मनाना, गले लग जाना
खेलना खिलाना, पढना पढाना , बाते बतियाना
हर विधा में नाम कमाना है याद बहुत हमें आए
नवोदयी जिगरी यार सदा दिलोदिमाग में छाए
विदाई का घड़ी जो आन पड़ी,था बहुत रुलाया
नम आँखो से,गले मिल कर था विदा करवाया
एल्युमनी दिवस पर वो नासूर जख्म हरे हो जाएं
नवोदयी जिगरी यार सदा दिलोदिमाग में छाएं
याद बहुत आते हैं पल जो नवोदय में बिताए
नवोदयी जिगरी यार सदा दिलोदिमाग में छाए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत