नववर्ष
चैत्रमास प्रतिपदा शुक्ल,
नववर्ष हमारा आया है।
भगवती आगमन भूतल पर,
उन्नति से जग हरषाया है।
सम शीत उष्ण मौसम सुन्दर,
खिल गयी पुलक नवरंग धरा-
अब रामजन्म का हर्षवेग,
मानस ये सोहर गायेगा।
पूर्ण प्रतीक्षा हुई आज सब,
सुर नर मुनि की अभिलाषा।
फसलें ले करके आयी हैं,
कृषकों के मन में नव आशा।
अब नभ से चाँद सितारे सूरज,
निर्बाधित गति झाँकेंगे-
नववर्ष हमारा आया है,
नूतन छवि की नव परिभाषा।
घर -घर जगदम्बे आयेंगी,
ज्योतित घट का पूजन होगा।
मन्दिर-मन्दिर में घण्टा ध्वनि,
जगराता माँ अर्चन होगा।
हर्षित होकर सारे प्राणी,
जगजननी के गुण गायेंगे-
तरुवर होंगे हँसकर पुष्पित,
उस पर खगकुल गुंजन होगा।
डा.मीना कौशल
प्रियदर्शिनी