Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Dec 2018 · 1 min read

नववर्ष की बधाई

नववर्ष की बधाई

जब नववर्ष की दी बधाई तो ,
मुंह बिचकाया एक मित्र ने ।
पाश्चात्य पर्व है इसे छोड़ो ,
यूँ बतलाया उस मित्र ने ।

मैंने कहा सुबह-सुबह जो ,
चाय की चुस्की लेते हो।
क्या उस पाश्चात्य पेय को भी,
आप स्वदेशी पेय कहते हो।

टांगों में पहनी पतलून अंग्रेजी,
गले में चमक रही टाई है ।
सब सच-सच बतलाना मित्र,
ये वेशभूषा कहाँ से आई है ।

जब वर्षगाँठ हो शादी की तो ,
केक काटते हो बाबू जी ।
जन्मोत्सव पर हैप्पी बर्थ डे,
किस धुन पे नाचते हो बाबू जी ।

टिकट, मोबाइल, कम्प्यूटर की ,
हिंदी तो मुझे बताओ जी।
पाश्चात्य भाषा इंग्लिश मिडियम,
बच्चों को न पढ़ाओ जी।

फिर सकपका कर लगा कहने,
की कबूल आपकी बधाई है।
नववर्ष पाश्चात्य पर्व है ,
कुछ धर्मांधों ने बताई है ।

विनोद सिल्ला वसुधैवकुटंबकम,
कहाँ उलझे हुए हो बाबू जी ।
छोड़ो धर्मांधों की बातें,
आप सुलझे हुए हो बाबू जी ।

-विनोद सिल्ला©

Language: Hindi
1 Like · 495 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भिक्षु रूप में ' बुद्ध '
भिक्षु रूप में ' बुद्ध '
Buddha Prakash
*केवल जाति-एकता की, चौतरफा जय-जयकार है 【मुक्तक】*
*केवल जाति-एकता की, चौतरफा जय-जयकार है 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
कविता जो जीने का मर्म बताये
कविता जो जीने का मर्म बताये
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दूसरों के कर्तव्यों का बोध कराने
दूसरों के कर्तव्यों का बोध कराने
Dr.Rashmi Mishra
घाव मरहम से छिपाए जाते है,
घाव मरहम से छिपाए जाते है,
Vindhya Prakash Mishra
पीड़ित करती न तलवार की धार उतनी जितनी शब्द की कटुता कर जाती
पीड़ित करती न तलवार की धार उतनी जितनी शब्द की कटुता कर जाती
Sukoon
"शौर्य"
Lohit Tamta
शब्द ब्रह्म अर्पित करूं
शब्द ब्रह्म अर्पित करूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मां मेरे सिर पर झीना सा दुपट्टा दे दो ,
मां मेरे सिर पर झीना सा दुपट्टा दे दो ,
Manju sagar
Uljhane bahut h , jamane se thak jane ki,
Uljhane bahut h , jamane se thak jane ki,
Sakshi Tripathi
उनका शौक़ हैं मोहब्बत के अल्फ़ाज़ पढ़ना !
उनका शौक़ हैं मोहब्बत के अल्फ़ाज़ पढ़ना !
शेखर सिंह
शातिर दुनिया
शातिर दुनिया
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
सुख दुःख
सुख दुःख
जगदीश लववंशी
जख्मो से भी हमारा रिश्ता इस तरह पुराना था
जख्मो से भी हमारा रिश्ता इस तरह पुराना था
कवि दीपक बवेजा
यहाँ तो सब के सब
यहाँ तो सब के सब
DrLakshman Jha Parimal
कहां जाके लुकाबों
कहां जाके लुकाबों
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
2807. *पूर्णिका*
2807. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"चांदनी के प्रेम में"
Dr. Kishan tandon kranti
पिता
पिता
Dr.Priya Soni Khare
■ क़तआ (मुक्तक)
■ क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
मुक्तक-विन्यास में रमेशराज की तेवरी
मुक्तक-विन्यास में रमेशराज की तेवरी
कवि रमेशराज
मां का हुआ आगमन नव पल्लव से हुआ श्रृंगार
मां का हुआ आगमन नव पल्लव से हुआ श्रृंगार
Charu Mitra
अब जी हुजूरी हम करते नहीं
अब जी हुजूरी हम करते नहीं
gurudeenverma198
मुक्तक
मुक्तक
नूरफातिमा खातून नूरी
सर्वनाम के भेद
सर्वनाम के भेद
Neelam Sharma
खेत का सांड
खेत का सांड
आनन्द मिश्र
नवजात बहू (लघुकथा)
नवजात बहू (लघुकथा)
दुष्यन्त 'बाबा'
गमछा जरूरी हs, जब गर्द होला
गमछा जरूरी हs, जब गर्द होला
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
मन चंगा तो कठौती में गंगा / MUSAFIR BAITHA
मन चंगा तो कठौती में गंगा / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
भेड़चाल
भेड़चाल
Dr fauzia Naseem shad
Loading...