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6 Sep 2023 · 2 min read

भेड़चाल

भेड़चाल शब्द को अगर सामान्य अर्थ में समझने का प्रयास करें तो, समझेगे कि भेड़चाल दरअसल दूसरों की देखा देखी काम करने की एक प्रवृत्ति है जिसे अंधानुकरण भी कहा जाता है, या दूसरे शब्दों में समझे तो एक के पीछे एक का आंखे मूंद कर चलना भी भेड़चाल कहलाता है, भेड़चाल की विशेषता यही है कि इसका अनुसरण करने वाले लोग अपनी बुद्धि और विवेक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करते ,ऐसे लोग कभी किसी शक्तिशाली धनाढ्य व्यक्तियों, धार्मिक गुरूओं, नेताओं आदि के पीछे आंखें बंद करके उनके पदचिन्हों का अनुसरण करते हैं, भेड़ो के लिए तो भेड़चाल किसी हद तक समझी भी जा सकती है कि वो पशु हैं लेकिन इंसानों में भेड़ चाल की प्रवृत्ति का होना स्वस्थ समाज और स्वयं इंसानों के लिए किसी भी रूप में उचित नहीं है,माॅब लीचिंग भी भेड़चाल का ही एक दुःखद परिणाम है जिसमें मुट्ठी भर लोग किसी एक के उकसाने से प्रेरित होकर अपनी पशुता अपनी हिंसात्मक प्रक्रिया किसी निहत्थे इंसान को जान से मार कर निकाल लेते हैं,ऐसे अपराधी प्रवृत्ति के लोग अपने अनैतिक कृत्यों को छुपाने के लिए असंख्य कुतर्को का सहारा लेते हैं जिसमें झूठ के अतिरिक्त सच कहीं नहीं होता जिसमें पीड़ित दोषी और दोषी पीड़ित नज़र आता हैं, अफ़सोस होता है ऐसी मानसिकता के लोगों पर जिन्हें अपने किये गये अपराध पर रत्ती भर भी पश्चाताप या आत्मग्लानी नहीं होती है,जो भी हो ऐसी मानसिकता किसी भी सभ्य समाज के लिए किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं हो सकती, भीड़ द्वारा क़ानून अपने हाथों में लेना क़ानून पर से लोगों का विश्वास कम होने को तो दर्शाता ही है साथ ही अपराधिक घटनाओं में वृद्धि और अपराधियों के हौसलेबुलंद करने का भी महत्वपूर्ण कारण बनता है,यहाँ ये समझने की ज़रूरत है कि जिस समाज ने भी भीड़ की अराजकता को मूक स्वीकृति प्रदान की वो स्वयं भी इस भीड़ का शिकार होने से स्वयं को बचा नहीं पाया है , इसलिए ये आवश्यक है कि विवेक से काम लिया जाए, जो ग़लत है उसे सिरे से नकारा जाए ,समाज में बढ़ रही नकारात्मकता को समाप्त किया जाए, नफ़रत फैलाने वाले माध्यमों का बहिष्कार किया जाए,सोच से शिक्षित हुआ जाए, इंसानियत को बढ़ावा दिया जाए, दिलों में एक दूसरे के प्रति गुंजाइशे पैदा की जाएं, किसी भी रूप में भीड़ का हिस्सा न बना जाए वरना वो दिन दूर नहीं जब हमारे समाज में भेड़िये तो नज़र आयेंगे लेकिन इंसान ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे सोचना हम सभी को है कि हम क्या चाहते हैं ?
डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: लेख
7 Likes · 341 Views
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