नवगीत : हर बरस आता रहा मौसम का मधुमास
विषय –बसंत
नवगीत —
हर बरस आता रहा
मौसम का मधुमास।
हर बरस देता रहा
ललछौही-सी आस।।
मलयानिल इठला बहा
नव कोपल लख हास
मस्ती और उमंग में
आकर्षण की फाँस
हर बरस आता रहा
फिर फिर नवल उजास।।
आम्र डाल भी फूटती
निज यौवन के साथ
मधुमक्षिका भ्रमर भी
नाचें हाथ लें हाथ।
हर बरस हँसता रहा
झुलसा हुआ पलास।।
डाल डाल से फूटता
वासंती का रूप
नवल अगन अहसास दे
हँसती कच्ची धूप
हर बरस जलती रही
हरी-भरी बस घास।।
फूट फूट खिलता रहा
वो आँगन का नीम
प्रस्फूटन खामोश थी
निज अधरों को सीम
हर बरस रिसता रहा
मन में बसा हुलास।।
इठला इठला खेत भी
देखे आँख तरेर
नटखट फागुनी सँग में
करे तेर और मेर
बार बार थमती रही
वह अधरों की प्यास।।
कोयल कूक निभा रही
अब बसंत का साथ
धरती सज दुल्हन बनी
बसंत चूमें माथ
कसक कसक चुभती रही
लगी हृदय में फाँस।।
सुशीला जोशी, विद्योत्मा
मुजफ्फरनगर-251001
उत्तर प्रदेश
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