नरक चतुर्दशी
श्लोक
नरकान्मुञ्चति विश्वं, यो नरकासुरान्तक:।
आत्मज्योतिर्प्रकाशार्थं, वन्दे तं परमेश्वरम्।
(जो विश्व को नरक से मुक्त करता है एवं नरकासुर का अंत करने वाले हैं, हम उन्हें आत्मज्योति प्रकाशित करने के लिए नमस्कार करते हैं)
अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’