Posts Tag: श्लोक 15 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Slok maurya "umang" 6 Aug 2023 · 1 min read "कचहरी " भले डॉट घर में तुम बीवी की खाना, मगर भूल कर तुम कचहरी न जाना। कचहरी हमारी तुम्हारी नहीं है, कचहरी किसी की रिश्तेदारी नहीं है। भले जैसे - तैसे... श्लोक 2 96 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 1 Jan 2023 · 1 min read नववर्ष *अनुष्टुप छंद* संवत्सरमिदंस्वस्ति सर्वेभ्यो भव सर्वदा। बालारुणसमं सौख्यं, वर्धन्तु तव जीवने। भद्रमस्तु इदं वर्षं, तथा भावी दिवानिशे। वृद्धिशीला: भवेद्धर्षं, तथा स्वास्थ्यं वयोबलं। अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' Sanskrit · श्लोक 2 410 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 16 Dec 2022 · 1 min read विश्वगुरुराष्ट्रं कर्तुं प्राचीनवैभवं प्रति प्रत्यागन्तुम् विश्वगुरुराष्ट्रं कर्तुं सर्वेषां सांस्कृतिक उत्थानम् ध्वजः सर्वेषां शाश्वतगीतं भवेत् हिन्दुत्वम् अग्रे आनेतव्यम् अस्ति *** Sanskrit · श्लोक 2 108 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 16 Dec 2022 · 1 min read 'सेल्फी' 'स्वयामी' इति वदन्तु 'सेल्फी' 'स्वयामी' इति वदन्तु, हिन्दीभाषायां सर्वे। सर्वे नवयुगस्य अन्तर्जालस्य, उपयोगं कुर्वन्ति।। *** * __________________ सेल्फ़ी’ को ‘स्वयमी’ कहें, हिन्दी में सब लोग। नवयुग अन्तरजाल का, सब करते उपयोग।। Sanskrit · श्लोक 2 202 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 23 Oct 2022 · 1 min read नरक चतुर्दशी *श्लोक* नरकान्मुञ्चति विश्वं, यो नरकासुरान्तक:। आत्मज्योतिर्प्रकाशार्थं, वन्दे तं परमेश्वरम्। (जो विश्व को नरक से मुक्त करता है एवं नरकासुर का अंत करने वाले हैं, हम उन्हें आत्मज्योति प्रकाशित करने के... Sanskrit · कविता · श्लोक 3 179 Share Taj Mohammad 3 Jun 2022 · 1 min read पितृ नभो: भव:। माता स्वर्ग: , पिता धर्म: । माता तीर्थमयी , पिता देवमय: ।। जननि स्वर्गादपि । पिता मूर्त्ति: प्रजापते ।। नास्ति मातृसमा गतिः । नास्ति पितृसमा छाया ।। सत्यं माता ,... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · श्लोक 2 2 386 Share उमा झा 10 Mar 2022 · 1 min read अमृताक्षर--- नीरम् मथनेन लक्ष्मी क्षीर मथनेन घृतम्। मेघ:मथनेन आप:विद्यायै मथेन्द्रियम् ।। ३।। गुरूर्ज्ञानम् गगनसदृशं धारेण धरायारपि गुरू:। चेत चेतना शून्य भूवि: इदम् ज्ञानम् वायुसदृशं ।। ४ ।। उमा झा Sanskrit · श्लोक 1 203 Share उमा झा 4 Mar 2022 · 1 min read अमृताक्षर पिक:कूजति यदा भूमौ बसंतोत्तेजित करोति लोक: । काकस्वरेण पथिकागत्य तृप्यन्ति जना:। तथापि पिककाकयो:अति प्रिय: पिक:।। 1।। शुकन: स्वाम्या: अनुगामि न वहन्ति कदापि ते । विस्मृत्येव कष्टभारं वहति स्वाम्योऽपि खर: ।... Sanskrit · श्लोक 1 208 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 7 Oct 2021 · 1 min read गणेश वंदनम् *गणेश स्तुति* नमो धूम्रवर्णाय गौरीसुताय। नमो विघ्ननाशाय नागाननाय। जगन्मड़्गलं भूयात्त्वद् प्रसादात्। भजामि गणेशस्य पादौ सदाहम्। अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' रामपुर कलाँ, सबलगढ़(म.प्र.) Sanskrit · श्लोक 8 487 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 7 Oct 2021 · 1 min read नीतिश्लोके *नीति श्लोके* भारभूता भवत्युर्वी भ्रष्टाचारेण भूतभिः। सज्जनानामतिशये अक्लेशमनुभूयति।। क्षुद्रो राजा शठा मंत्री, स्वार्थलिप्तो प्रजा तथा। तस्मिन् देशे न उत्थानो, न श्रेयश्च न कीर्तिरपि। अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' Sanskrit · श्लोक 8 330 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 7 Oct 2021 · 1 min read गुरुवंदनम् *अनुष्टुप छंदे* अक्षरस्याक्षरपदं ,करोति सुगमं सदा। ज्ञानाक्षरेण संयुक्तः तस्मै श्री गुरवे नमः।। नम: ब्रह्मस्वरूपाय, नमस्ते ज्ञानसागर:। नियोजको हितार्थे च, तस्मै वंदे गुरुपदौ।। अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' Sanskrit · श्लोक 5 341 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 29 Sep 2021 · 1 min read अतिप्राचीना च नूतन: संस्कृत: श्लोक: अतिप्राचीना संस्कृत: श्लोक: उद्यमेन हि सिद्ध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः। यथा सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति न मुखेन मृगाः।। हिन्दी भावार्थ: कार्य परिश्रम करने से सम्पूर्ण होते हैं, मन में इच्छा करने से... Sanskrit · श्लोक 2 1 438 Share निकेश कुमार ठाकुर 26 Sep 2021 · 1 min read पठतु संस्कृतं नित्यं वदतु संस्कृतं सदा। पठतु संस्कृतं नित्यं वदतु संस्कृतं सदा। कृत्वा जीवनं सरसं सानन्दं भवतु सर्वदा।। चिन्तयतु संस्कृतं नित्यं लिखतु संस्कृतं सदा। गायतु संस्कृतं नित्यं सरला सरसा मनोहरा।। 🖋 निकेश कुमार ठाकुर सं०-9534148597 Sanskrit · श्लोक 6 4 568 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 26 Sep 2021 · 1 min read रामायण: ज्ञानवृष्टि विश्वविख्यात: श्लोक: महर्षि वाल्मीकी— "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी" (इह अस्ति राष्ट्रे निर्माणे सम्पूर्ण: कड़ी) एकम् रूपम महर्षि भारद्वाजे, सम्बोधित: राम:— मित्राणि धन धान्यानि प्रजानां सम्मतानिव । जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि... Sanskrit · श्लोक 3 1 1k Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 25 Sep 2021 · 1 min read नीतिश्लोकम् तत्र किंचिन्न वक्तव्यं, अयाचित: मतिर्तव। निष्फलं तत्र तज्ज्ञानं, अन्धाय दीपकं यथा। अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' Sanskrit · श्लोक 7 2 351 Share