” नयी दुनियाँ “
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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सभी करते हैं गलती भी
उसे महसूस करना है
विनम्रता से उसे हमको
सदा स्वीकार करना है
जो गलती आज करते हैं
उसे हरगिज नहीं करना
जो सबको रास ही आए
वही हमें काम ही करना
कटु भाषाओं को लेकर
कभी तुम ध्यान ना देना
किसी के दिल में रहना है
कभी तकरार ना करना
करो तुम प्यार ही सबको
सभी हैं अपने इस जग में
नहीं कुछ इस में संशय है
बहे एक खून ही रग में
नहीं कोई धर्म सिखलाता
कभी आपस में लड़ने से
नहीं हासिल कभी होता
किसी के लाख भिड़ने से
गलत जो बात है जग में
उसे हमें छोड़ देनी है
नयी दुनियाँ बसाने को
नयी कोई राह चुननी है !!
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डॉ लक्ष्मण झा परिमल
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
23.03.2024