नया साल मनाते है
नया साल मनाते है
मेरे हिस्से का है कुछ तू,
तेरे हिस्से का हूं कुछ मैं।
चलो दूरियां मिटाते है,
चलो हम पास आते है।
तेरे बेवफाइयों के आग में हम जलने लगे
मेरे दो नैन से अब अश्क बरसने लगे।
मै कैंडल जलाता हूँ;
तुम दिल जलाती हो।
चलो नजदीकियां बढ़ाते है,
फिर वहीं गीत गुनगुनाते है।
नए सपने सजाते है,
नया साल मनाते है।
कविराज
संतोष कुमार मिरी
रायपुर छत्तीसगढ़।