नया सवेरा
माना अभी अंधेरा है
माना तम से जूझ रहा हूं
एक दिन नया सवेरा लाना है
दुनिया को मार्ग दिखलाना है
रण में अंत तक बने रहना ही
मनुष्य को सफल बनाता है
मंजिल तक पहुंचाता है
एक दिन नया सवेरा लाना है
दुनिया को मार्ग दिखलाना है
माना भीड़ का हिस्सा हूं
भीड़ से अलग निकलना है
तप तपस्या करनी है
मंजिल तक जानी है
माना सपने बड़े हैं
बड़ी – बड़ी ख्वाहिशें हैं
पता है संघर्ष हमारा दुर्गम है
मैं भी हूं जिद्दी योद्धा
अपनी मुकद्दर बदल कर
अपनी तकदीर लिखता हूं
एक दिन नया सवेरा लाना है
दुनिया को मार्ग दिखलाना है
रचनाकार:- अमरेश कुमार वर्मा