नया सवेरा
नया सवेरा
हर कोई देगा साथ तुम्हारा
कांटे भी कोई चुभाएगा
पर तुम न अगर आये सामने
हालात वही फिर रह जायेगा।
मिलकर करना आसान बहुत है
पर सबको कौन मिलाएगा
तुमको ही बढ़ाना पहला कदम
फिर हर कोई पीछे आएगा।।
यह न कहना नुकसान मेरा यह
न तू अपनी व्यथा बताएगा
बलिदान देना पड़ेगा तुझको
तब जाके समाज बढ़ पाएगा।।
न कामना तू यश की करना
वरना इतराता रह जाएगा
रखना तुम धैर्य , सादगी से रहना
वरना पछताना पड़ जाएगा।
न एक कदम पर रुक जाना तुम
वरना सफर अंत हो जाएगा
ये तो सफर है अनंत राह का
तू थक तो कँही न जाएगा।।
हौसला है रखना तुझको
तू अंत तक भी जाएगा
होता सवेरा जिस जगह से
तू नया सवेरा बन के आएगा।।
*नन्दलाल सुथार’राही’