नमन है वीरों को
आज वीरों की शहादत पर जब
जी भर कर चिल्लाते हैं सब ,
” इनकी कुर्बानी बेकार नही जायेगी
दुश्मन का कर ख़ात्मा आत्मा चैन तभी पायेगी “,
ये सब उन्माद का जूनून है
क्षण भर को देता सूकून है ,
अगर इतनी ही पीड़ा होती
तो क्या बीती शहादत यूँ खोती ?
कितनों को याद है मंगल पांडे वो क्रांतिकारी
या मर्दानी वो झाँसी की रानी हमारी ?
उनको अपनी माता का सम्मान था
छोटी सी उम्र में समझा देश का मान था ,
जिस आजादी में ले रहे हैं हम खुल कर साँस
यही आज़ादी थी उनकी आखिरी साँस की आस ,
वो तो ना जी पाये इस प्यारी आजादी में
दे दिये अपने प्राण गुलामी की बर्बादी में ,
आज फिर हिमाक़त करता है पड़ोसी
गलती करके भी खुद को नही मानता दोषी ,
इनको सबक सिखाने खड़े हैं सरहद पर दिवाने
अपनी माता की रक्षा को ये हैं देश के परवाने ,
हर शहीद हर युग में उतने ही आदरणीय हैं
जितने मंदिर के भगवान सबके लिए पूजनीय हैं ,
इनके लिए जब हम अपना सर झुकायेंगे
तभी तो अपनी नज़रों में सच में हम उठ पायेंगे ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 24/06/2020 )