“नन्हे” ने इक पौधा लाया,
“नन्हे” ने इक पौधा लाया,
आंगन में था उसे लगाया।
यह मेरे स्वप्नों की सीढ़ी,
संग – संग मेरे रोज चढ़ेगा।
हां, ये पौधा यहीं लगेगा!!
पौधा बढ़ा,फूल थे फूले,
कोमल – कोमल बेले झूले।
नन्हे के जीवन में मीठी,
-मीठी यादें रोज भरेगा।
आह!ये पौधा यूं ही बढ़ेगा!!
पौधा बढ़ा वृक्ष बन आया,
नन्हे पर भी यौवन छाया।
दोनों की स्वर्णिम बाहों से,
सावन घुल – घुल नीर बहेगा।
हां! ये तरुवर साथ रहेगा!!
फिर नियति ने ली अंगड़ाई,
और घड़ी विदाई की आई।
नन्हे का जीवन पूर्ण हुआ,
पर वृक्ष युगों तक यहीं रहेगा।
हां! ये तरुवर यही रहेगा!!
नन्हे परलोक सिधार गया,
कर प्रकृति पर उपकार गया।
हो एक नन्हे हर घर में यूं,
तो वसुधा का श्रृंगार सजेगा।
आह! ये तरुवर यहीं रहेगा!
आह! ये तरुवर यहीं रहेगा!
@priya maithil