नन्हा सा पौधा
नन्हा सा पौधा, जब पहली बार उठता है,
सुर्य से शक्ति पाकर, धीरे धीरे बढता है.
बरसों लगते हैं, तब हराभरा होता है,
जाने कितने ही तूफानों से वो लडता है.
बरसात, गर्मी और ठंड में सिकुड़ता है,
मजाल है, कभी, जो वो, डरता है,
ये नन्हा सा पौधा हमें, बहुत कुछ जताता है,
जीवन जीने के उसूल सिखाता है.
खुद भी जीता है, औरों की जिंदगी,
आसान करता है, सिर्फ देते ही रहता है.